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मानव एक दूत है | Manav par Kavita

मानव एक दूत है

( Manav ek doot hai ) 

 

रचकर भेजा है इस धरती पर मानव एक दूत है।
नीली छतरी वाला बैठा उसकी माया अद्भुत है।

वो डोर हिलाता सबकी सांसो की सरगम सुनता।
बाजीगर के खेल निराले ताना-बाना सब बुनता।

मानव को माध्यम बनाया धर्म-कर्म सब काज करें।
दो हाथों से मेहनत करके बल पौरुष से राज करें।

कला कौशल विद्या बुद्धि क्षमा गुण अपार दिया।
सकल पदार्थ दिया जग में जीने का आधार दिया।

सद्भावों के सुमन खिलाने भावों का अंबार दिया।
हर दिल को धड़कने दी रिश्तों नातों में प्यार दिया।

पंचतत्व की काया देकर सुंदर सा स्वरूप दिया।
नारायण ने नर को भेजा दूत तुझे अनूप किया।

आस्था प्रेम सद्भावों के चमन सदा महकाते रहना।
परोपकार भले कर्म कर जग में प्यार लुटाते रहना।

 

कवि : रमाकांत सोनी

नवलगढ़ जिला झुंझुनू

( राजस्थान )

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