मंजिल का एहसास

मंजिल का एहसास | Prernadayak poem

 मंजिल का एहसास

( Manzil ka ahsas )

 

 

यूं ही तो नही ये मेरे मेरे सपनों की उड़ान है,

कुछ तो है मन के अंदर तो जुड़ा हुआ है इससे।

कुछ तो है जो कर रहा है प्रेरित इस कदर से

कि अब ये चुनोतियाँ बाधा नही बन सकती हैं।।

 

क्या है जो इसका ख्याल कर देता है रोमांचित,

शायद इसका जादू तन मन मे जोश भर देता है।

क्या है जो बस है अनकहा अनदेखा सा अभी

शायद मन की नज़रों में है इसकी पूरी तस्वीर।।

 

ये ख्वाब कोई ऐसा ख्वाब भी नही है

जो आये और बस यूं ही चला जाये ।

यो तो वो ख्वाब है जो बसता है दिल दिमाग मे

जो दिन रात मेहनत, कोशिश को, कहता फिरता है।।

 

लेखिका :- ईवा ( The real soul)

 

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