मंजिल का रास्ता | Manzil ka rasta
मंजिल का रास्ता
( Manzil ka rasta )
ऐ ख़ुदा माना मंजिल का रास्ता बहोत मुश्किल है ,
मगर तेरा साथ है,
तो मुझसे हर गम दूर है
ऐ ख़ुदा पता नहीं,
दिल को क्या होता है.
कभी फासलों से टूट जाता है,
तो कभी खुदसे रूठ जाता है।
कभी अपनों पर जान छिड़कता,
कभी किसीकी आँसू की वजह बनूं
ख़ुदा इल्तिज़ा है मेरी तुझसे ,
मेरे मंजिल के रास्ते में साथ दे खुदसे ।।
माना, में बहोत नादान हूँ,
मगर तेरी हूँ।
दिल की धड़कन को मेरी खुश रखना,
यही दुआ मांगती रहती हूँ ।।
तुझसे हर बात कहती रहती हूँ,
आ रहे है सबके exam सर पर
सब का साथ देना,
घूम रहे टेंशन अपनें ऊपर
उनको राह दिखाना
ऐ ख़ुदा मंजिल तक पहुचना है ,
तेरे करम हम पर यूंही बनाये रखना ॥
जिंदगी
( Zindagi )
ऐ जिंदगी कोई शिकायत नहीं तुझसे,
बस रूठ जाते हैं खुदसे..
कभी रास्ता भटक जाते हैं,
कभी समझदारी भूल जाते हैं।
कभी दोस्तो के खयालों मे डुब जाते हैं
तो कभी आने वाले कल की,
परेशानियो में खो जाते हैं
बस हम कभी,
आज को ही भूल जाते हैं।
कभी खुदकी कमियां गिनते हैं,
तो कभी दुसरो की खुशियो में खुश होना जानते हैं!
बस हम अपनी अच्छाई पर परदा डालते है ।।
कभी किसीकी बात पर बुरा मानते हैं,
तो कभी किसी को कुछ भी कह देते है।
बस हम हमारे अल्फाज भुल जाते हैं।।
नौशाबा जिलानी सुरिया
महाराष्ट्र, सिंदी (रे)