मोहब्बत ( Mohabbat | Love kavita )
मोहब्बत कैसी होती हैं जुदाई कितनी रोती है ।। चैन आए नहीं रैन जाए नहीं रात बेबसी में नीद आए नहीं कटती नहीं है रात जल्दी सुबह नहीं होती है । मोहब्बत …… प्यार जलता रहे दिल पिघलता रहे हर घड़ी ख्वाब में फूल खिलता रहे जलती रहे वफा कहीं बेवफा बन सोती है । मोहब्बत…… उजाले में भी जलती अंधेरे में भी जलती रात दोपहर और सवेरे में भी जलती बुझती नहीं है लौ कभी यह कैसी ज्योति है । मोहब्बत …… सच्ची खूब लगती कभी अच्छी खूब लगती कभी टूट कर प्रीत कच्ची खूब लगती लगती है कभी आग सी कभी “रूप” की ए मोती है । हाय मोहब्बत…… कवि : रुपेश कुमार यादव लीलाधर पुर,औराई भदोही ( उत्तर प्रदेश।) Kavita On Bachpan | Hindi Kavita | Bachpan Kavita -बचपन