मुझे मिल गयी माँ
मुझे मिल गयी माँ
किसी को धरती मिली और,किसी को आकाश।
मैं तो सबसे छोटा था तो, मुझे मिल गयी माँ।
स्याह में भी टिमटिमाती, पूछती हर ख्वाब।
शून्य में भी लग रहा था, पूरा था संसार।
चमकता उज्जवल सा माथा, और चेहरा लाल।
आंखों मे जितना ही ढूंढो, दिखता था बस प्यार।
चेहरे की सिलवट बताती, यादों की हर बात।
बाबूजी का छोड जाना, टूटता विश्वास।
हर समय मुझको बुलाकर, पुछती हर बात।
मै तो सबसे छोटा था तो, मुझे मिल गयी माँ।
माँ मेरी अब ना रही तो खाली है हर हाथ।
अब बलैया कौन लेगा, कैसा अब परमार्थ।
लिख रहा हूँ लेखनी ले, रूक गये है हाथ।
क्या लिखू जज्बात दिल मे, कुछ नही है आज।
मन मेरा बेचैन है, सब छिन गया हुंकार।
मै तो सबसे छोटा था तो, मुझे मिल गयी माँ।
कवि : शेर सिंह हुंकार
देवरिया ( उत्तर प्रदेश )