Mulaqaat Likhna

मुलाक़ात लिखना | Mulaqaat Likhna

मुलाक़ात लिखना

( Mulaqaat likhna )

 

रही कैसी अपनी मुलाक़ात लिखना
जो तुम कह न पाये वो जज़्बात लिखना

मनाना है कैसे नया साल मोहसिन
इशारे में अपने ख़यालात लिखना

जुदाई में मेरी अकेले में दिलबर
जो आँखों से होती है बरसात लिखना

नज़र में हैं मेरी तुम्हारे ही मंज़र
किये ऐसे कैसे तिलिस्मात लिखना

निभा हम न पाये जो मिलने का वादा
उसी रात के तुम तज्रिबात लिखना

ज़माना सितम जितने ढाता रहा है
किसी रोज़ ख़त में वो सदमात लिखना

उमीदें जो रखते हो तुम मुझसे साग़र
वो सब अपने दिल के सवालात लिखना

 

कवि व शायर: विनय साग़र जायसवाल बरेली
846, शाहबाद, गोंदनी चौक
बरेली 243003
यह भी पढ़ें:-

आँखों में डूब जाने को | Aankhon mein Doob Jaane ko

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *