नयकी सरकार कुछ ना कुछ करी!
नयकी सरकार कुछ ना कुछ करी!

नयकी सरकार कुछ ना कुछ करी!

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खांटी बा बिहारी
जल्दी हार न मानी
कइले बा पूरी तैयारी
विपक्ष में बैठी
लेकिन सांस चैन के ना लीही
सरकार के नाक में दम क# दीही
विपक्ष बा मजबूत!
एने ओने करे के# ना दीही छूट
ना होखे दीही जनता के कमाई के लूट!
मजबूरी हो जाई सरकार के
काम करीहें थक-हार के
खोजीहें उपाय रोजगार के
नौकरी लगइहें,
उद्योग लगइहें
पलायन रोके#के# उपाय खोजाई
तनको एने ओने करीहें त-
सवाल सदन में उठ जाई!
परिस्थिति बदलल बा
परिदृश्य बदलल बा
सरकार भी समझ# ता
बूझ#ता
उहो रही सतर्क
ना चली अबकी कवनो कुतर्क।
जब अइसन होई
त सचमुच फायदा जनता के होई
सही सही सब काम होई
त जल्दीए दुर्दिन दूर होई।
एही विश्वास में लोग जीय#ता,
भगवान जानें !
देखीं आगे का# होता#?

 

?

नवाब मंजूर

लेखक-मो.मंजूर आलम उर्फ नवाब मंजूर

सलेमपुर, छपरा, बिहार ।

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