नारी एक रूप अनेक | Nari ek Roop Anek
नारी एक रूप अनेक
( Nari Ek Roop Anek )
किसी का मुकद्दर संवारती है ,
किसी का मुकद्दर बिगाड़ती है ,
नारी अगर जिद्द पर आ जाए
राजा को भी वो रंक बनाती है! -1
हमसफर का साथ निभाती है,
पूरा जीवन समर्पित करती है ,
नारी अगर जिद्द पर आ जाए
बेवफाई भी करके दिखाती है! -2
कभी बेशुमार प्यार बरसाती है,
कभी अपना सर्वस्व लुटाती है ,
नारी अगर जिद्द पर आ जाए
सब कुछ छीन भी सकती है !-3
हमेशा सभी की परवाह करती है ,
औरों की खुशी के लिए जीती हैं ,
नारी अगर जिद्द पर आ जाए
किसी को तबाह भी कर सकती हैं! -4
कवि : सुमित मानधना ‘गौरव’
सूरत ( गुजरात )