Nari par Kavita
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“नारी हो तुम “

( Nari ho tum ) 

 

जगत मैं आई हो तो,
संसार का कुछ उद्धार करो!
अपने अस्तित्व की एक नई ,
फिर से तुम शुरुआत करो
जो जग में जाने जाते हैं ,
वही वीर कहलाते हैं
तुम नारी हो शक्ति स्वरूपा
नारायणी जैसा तुम काम करो !

हो समाज की ढाल तुम्हीं ,
है तुम्हारे हाथो में सब
पुरुस्कृत हो या न हो
जगत कल्याण के लिए तुम
सदैव सद मार्ग को चुनों,
तुम भी प्रतिक हो शक्ति का
अपनी गरिमा को पहिचानों
अपना फिर से इतिहास पड़ो।।

सत्य की आंच पर तपकर
कई बार परीक्षाएं दी है तुमने
अब अपनी सत्य की कसौटी पर
तुम अब अपना संसार चुनों,
होगी जीत तुम्हारे हर लक्ष्य की,
अपने नए विचारों से तुम,
नई दिशा में कदम रखो ,
उड़ने के लिए विशाल है आसमां
अपने पग से नाप लो ये जमीं
कर्म का तुम सही मार्ग चुनों ।।

 

आशी प्रतिभा दुबे (स्वतंत्र लेखिका)
ग्वालियर – मध्य प्रदेश

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