Hindi Poem Makarsankranti – मकर संक्रांति
मकर संक्रांति
( 2 )
सूर्य देव ने मकर राशि में प्रवेश कर
मकर संक्रांति के आने के दी है खबर
सोंधी सोंधी गुड़ की वो महक
कूटे जाते हुए तिल का वो संगीत
मौज-मस्ती बेसुरे कंठो का गीत
गंगा स्नान खिचड़ी का वो स्वाद
आज होगी आकाश में पतंगबाजी
रंग बिरंगी पतंग से भरा आकाश
जोश भरी आवाज “वो काटा की गूंज”
सर्दियों को अलविदा कहने की धूम
हाथ जोड़ प्रभु से वर मांगो
सब जन जीवन का हो कल्याण
गंगासागर में डुबकी लगाओ
करो शीतल तन और मन
कमाओ पूण्य बनाओ परमार्थ
जीवन को खुशहाल बनाये
तिल गुड़ सब मिलकर खाये
आओ हम मकर संक्रांति मनाये
लता सेन
इंदौर ( मध्य प्रदेश )
( 1 )
चुड़ा गुड़ चीनी दही
तिल का लगाओ भोग
उत्तरायण का पर्व आज है
मिलकर मनाओ लोग
खिली धूप है
ले बच्चों को किसी मैदान में जाएं
ठंडी ठंडी हवा के झोकों संग
खुलकर पतंग उड़ाएं।
सूरज की तीखी किरणों से
तन मन को नहलाएं
सर्दी के भय को मन से निकाल लाएं
बैठकर अपनों संग तन्हाई मिटाएं।
कुछ इधर की कुछ उधर की
बातें खूब बतियाएं
मन में बैठे मैल द्वेष को एक पल में मिटाएं
गुड़ की मिठास यूं दूनी हो जाए
यही मकर संक्रांति, पोंगल, लोहड़ी कहलाए,
मकरसंक्रांति पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं।