हाँ साथ में मेरे होता जो निकाह तेरा | Nikaah shayari
हाँ साथ में मेरे होता जो निकाह तेरा
( Haan saath mein mere hota jo nikaah tera )
हाँ साथ में मेरे होता जो निकाह तेरा
मैं तो हर हाल में कर लेता निबाह तेरा
के धूप फ़िर लगेगी मुझको न तन्हाई की
जो ज़ुल्फ़ का अगर मिल जाये पनाह तेरा
इंसाफ फ़िर मिलेगा कैसे तुझे मगर अब
वो ही जुबां से अपनी बदला गवाह तेरा
टूटा है आज रिश्ता वो प्यार से भरा ही
करना ही पड़ गया है महंगा मिज़ाह तेरा
मेरा ही एक तू है जो चाहता बुरा हो
के चाह हर घड़ी मैंनें ख़ैरख़्वाह तेरा
के उम्रभर सतायेगा ज़ख्म बनकर दिल को
देना मुझे मुहब्बत में यूं कराह तेरा
के लोग हो गये आज़म के ख़िलाफ़ देखो
यूं देखना मुझे भरके ही निग़ाह तेरा
शायर: आज़म नैय्यर
(सहारनपुर )
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