निवातिया के दोहे
( Nivatiya ke Dohe )
बड़बोलो ये सीख लो, सोच समझ के बोल !
जनता अपनी जब करे, पल में खोले पोल !!
समय एक सा कब रहा, बदले सबका काल !
माणिक भी पत्थर भये, वक्त चले जब चाल !!
दम्भ किसी का ना रहा, लगे सब पर विराम !
नभ से भू पर यूँ गिरे, जैसे टपके आम !!
नभ से भू पल में गिरे, करता जो अतिरेक !
किस्मत उसका साथ दे, कर्म करे जो नेक !!
आज मेरी बारी पड़े, कल तुझ पे हो वार !
अपनों का जो ना सगा, होगा किसका यार !!
डी के निवातिया