लघुकथा – महंगी शादी
मास्टर शिवप्रसाद की ज़िंदगी भर की कमाई आज बेटी की शादी में दांव पर लगी थी।घर के आँगन में सजी रंग-बिरंगी लाइटें, मंडप में बैठे पंडित, और हाथ में चेकबुक लिए मास्टर साहब —सब कुछ कुछ खोखला-सा लग रहा था। लड़के वालों की माँगें दिन-ब-दिन बढ़ती गईं।“गहने हल्के हैं… फ्रिज छोटा है… कार पुरानी है…”और…










