Zaroori to nahin

ज़रूरी तो नहीं | Zaroori to nahin

ज़रूरी तो नहीं ( Zaroori to nahin )   हर जज्बात एहसास दिलाये हर एहसास को अल्फाज़ मिल जाये उन अल्फाज़ों  को ज़बां मिल जाये हर ज़बां कुछ कह पाये बस तलबगारी है महज़ इक निगाह की जो किताब-ए-दिल के हर सादा,स्याह पन्ना भी पढ़ जाये.   लेखिका :- Suneet Sood Grover अमृतसर ( पंजाब )…

Yoga par kavita

योग विश्व को भारत की देन | Yoga par kavita

योग विश्व को भारत की देन ( Yoga vishwa ko bharat ki den )   योगी ऋषि-मुनियों ने, जग को योग सिखाया। तपस्या के दम पर, योग शिक्षा दे गए।   अपना भारत देश, दुनिया में है विशेष। संसार को योग शिक्षा, योगी संत दे गए।   अनुलोम विलोम हो, प्राणायाम आसन हो। स्वस्थ तन…

Mai Sher Singh Saraf

मै शेरसिंह सर्राफ | साहित्यिक परिचय

मै शेरसिंह सर्राफ ( Mai Sher Singh Saraf )   इक परिचय मेरा भी सुन लो, शब्द मेरे है साफ। लिखता हूँ खुद से खुद को मै, शेर सिंह सर्राफ। … बचपन बीता यौवन भी अब, मै हूँ चालीस पार। लेखन मे डूबा रहता मै, इससे ही मुझको प्यार। …. पाँच जुलाई का दिन था…

Alsai si lalchai si

अलसायी सी ललचाई सी | Alsai si lalchai si | Kavita

अलसायी सी ललचाई सी  ( Alsai si lalchai si )   अलसायी सी ललचाई सी, दंतों से अधर दबायी सी। सकुचाई सी शरमाई सी, मनभाव कई दर्शायी सी।   घट केशु खोल मनभायी सी,अकुलाई सी बलखाई सी। चुपचाप मगर नयनों से वो, रस रंग भाव भडकायी सी।   थम के चले गजगामिनी सी,सौंदर्य निखर के…

Zulm ki inteha

जुल्म की इंतेहा | Zulm ki inteha | Chhand

जुल्म की इंतेहा ( Zulm ki inteha )   मनहरण घनाक्षरी   जुल्मों सितम ढहाए, नयनों में नीर लाए। बेदर्दी लोग जुलमी, दिल को जला गए।   पत्थर दिल वो सारे, जिनके नखरे न्यारे। अपना बनाके हमें, आंसू वो रुला गए।   जुल्म की इंतेहा हुई, कहर मत ढहाओ। इंसान हो इंसान से, दूरियां वो…

वृद्धाश्रम

वृद्धाश्रम | Bridhashram Chhand

वृद्धाश्रम ( Bridhashram )   मनहरण घनाक्षरी   पावन सा तीर्थ स्थल, अनुभवों का खजाना। बुजुर्गों का आश्रय है, वृद्धाश्रम आइए।   बुजुर्ग माता-पिता को, सुत दिखाते नयन। वटवृक्ष सी वो छाया, कभी ना सताइए।   हिल मिलकर सभी, करें सबका सम्मान। वृद्धाश्रम में प्रेम के, प्रसून खिलाइए।   जीवन के अनुभव, ज्ञान का सागर…

Jeevan sansay

जीवन संसय | Jeevan sansay

जीवन संसय ( Jeevan sansay )   जन्म की पीड़ मिटी ना प्यास बुझी, इस नश्वर तन से। अभी भी लिपटा है मन मेरा, मोह में मोक्ष को तज के।   बार बार जन्मा धरती पर, तृष्णा में लिपटी है काया। उतना ही उलझा हैं उसमें, जितना ही चाहे हैं माया।   भय बाधा को…

Itni si kami hai

इतनी सी कमीं है | Itni si kami hai

इतनी सी कमीं है ( Itni si kami hai )   पत्थर  सा  नही  हूँ  मैं मुझमे भी नमीं हैं। बस दर्द बया कर देता हूँ इतनी सी कमी हैं।   तुमने का समझ लिया मुझको मैं जान न पाया। हैं प्यार भरा दिल मेरा जिसपर मोंम जमीं हैं।   संगेमरमर नही बना पर, खालिस…

Badal par chhand

बादल | Badal par chhand

बादल ( Badal )   जलहरण घनाक्षरी   काले काले मेघा आओ, बरस झड़ी लगाओ। व्योम में कड़क रही, बिजलियां कड़ कड़।   बारिश की बूंदे प्यारी, सबको सुहाती सारी। बादल गरज रहे, अंबर में गड़ गड़।   नभ बदरिया छाए, रिमझिम पानी आए। मुसलाधार बरसे, झड़ी लगे टप टप।   आषाढ़ उमड़ आया, घूमड़…

नरक का द्वार | Narak ka dwar | Kavita

नरक का द्वार | Narak ka dwar | Kavita

नरक का द्वार ( Narak ka dwar )   नैन दिखा मां बाप को, खोले नरक के द्वार। अभिशापों की जिंदगी, मत जीओ संसार।   कच्ची कलियां नोंचतें, करते जो पापाचार। नरक द्वार खोलते, पापी वो नरनार।   स्वांग रचा छद्म करे, करते जो लूटमार। दीन दुखी की हाय ले, जाते नरक के द्वार।  …