जाने क्यों बेख़बर नहीं आती
जाने क्यों बेख़बर नहीं आती जाने क्यों बेख़बर नहीं आतीढ़ाने मुझपर कहर नहीं आती ताकते क्यों हो तुम गली उसकीआजकल वो नजर नहीं आती मैं हूँ मजबूर आज जीने कोयाद वह इस कदर नहीं आती देखकर हार बैठा दिल जिसकोवो भी लेने ख़बर नहीं आती तू उसे खोजता है क्यों दर दरवो कभी इस डगर…