परिवार अपना

परिवार अपना | Parivaar Apna

परिवार अपना

( Parivaar Apna )

जहाँ से निराला है परिवार अपना
इसी पे लुटाता रहूँ प्यार अपना

कदम बेटियों के पड़े घर हमारे
महकने लगा है ये संसार अपना

ये बेटे बहू कब हुए है किसी के
जो इनपे जताऊँ मैं अधिकार अपना

मजे से कटी ज़िन्दगी भी हमारी
चला संग मेरे जो दिलदार अपना

करूँ मैं दुआएं यही रात दिन अब
रहे मुस्कराता ये दिलदार अपना

खुशी से सदा झूमती वह गई है
छुपाया नही जो कभी प्यार अपना

न बरछी न भाला न तलवार है अब
अभी तक तो है प्यार हथियार अपना

हमें छोड़कर जब चली जाओगी तुम
रहेगा किसी पर न अधिकार अपना

नज़र मत लगाना खुशी को प्रखर की
उसे अब मिला है वफ़ादार अपना

Mahendra Singh Prakhar

महेन्द्र सिंह प्रखर 

( बाराबंकी )

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