पेड़

पेड़

पेड़

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पत्र पुष्प फलादि माया कौन देता।

पेड़ न होते तो छाया कौन देता।।

 

बगीचों को काट रेगिस्तान न कर,

प्राण वायु जो खपाया कौन देता।।

 

पेड़ों में भी जान है जहान भी है,

चूल्हे में लकड़ी लगाया कौन देता।

 

“दसपुत्र समद्रुमः”शेष बतलाते हो,

औषधी जीवन बचाया कौन देता।

 

ये अर्थी भी तो लकड़ी की बनी,

बूढ़े में डंडी पकड़ाया कौन देता।।

 

तेरे घरकी चौखट में लकड़ी अशेष,

दीप उसमें जगमगाया कौन देता।।

 

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लेखिका : दीपशिखा

शिक्षिका, प्रा०वि०-महोली-2,

सीतापुर (उत्तर प्रदेश)

 

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