पहली बारिश | Kavita
पहली बारिश
( Pehli Baarish )
बचपन की यादों को समेट रही हूं
पहली बारिश की यादे सहेज रही हूं
बारिश का पानी
सखी सहेली
कागज की नाव
छपाक सी मस्ती
बेफिक्र ज़माना
वक्त सुहाना
हौले हौले से
सपने भीग जाना
पिता की मुस्कान
मां को चिंता
पहली बारिश का
अहसास अनोखा
ना आएगा दोबारा
वो बचपन मस्ताना
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उम्र की दहलीज पर बढ़ चले क़दम
पहली बारिश जवानी का मौसम
वो परिंदे सा दिल
वो मन को भिगोना
वो ठंडी सी आहे
नाजुक सी छुअन
वो होठों पे बूंदे
ऊंची उड़ाने
मीठे से सपने
चांद तारों के फसाने
बरसात की बाते
मुहब्ब्त की राते
भीगे से वादे
पक्के इरादे
चला ही गया वो भी वक्त बेगाना
पहली सी बारिश का अहसास अंजाना
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वक्त ने अपनी फिर बढ़ाई है चाल
उम्र की गहरी प्रोढावस्था का ठहराव
वो सुदृढ़ निर्णय
वो थमा सा धैर्य
बारिश की बूंदों पे
रुकी हुई निगाहे
चलती सी दुनियां
बढ़ते से क़दम
हाथो में कामयाबी की
पकड़े लगाम
ढलती हुई सांझ के पक्के इरादे
नवपीढ़ी को स्वप्न बांटते हाथ अपने
बारिश वही है और है बूंदे वही
मगर मन के कोने पर असर है जुदा
जीवन के हर हिस्से पर पहली बारिश का
रंग चढ़ता है हम पर जैसे खुश हो खुदा
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डॉ. अलका अरोड़ा
“लेखिका एवं थिएटर आर्टिस्ट”
प्रोफेसर – बी एफ आई टी देहरादून