पिता | Pita kavita
पिता
( Pita )
खुशियों का खजाना है, वो प्यार का सागर है।
सर पर ठंडी छाया, पिता प्रेम की गागर है।
गोद में लेकर हमको, दुनिया दिखलाते जो।
अंगुली पकड़ हमारी, चलना सीखलाते वो।
तुतलाती बोली को, शब्दों का ज्ञान दिया।
ठोकर खाई जब भी, हमको थाम लिया।
जब जब मुश्किल आई, तूफान से भीड़ जाते।
राहत का ठिकाना बन, हमें खड़े नजर आते।
हम सबका संबल है, पिता प्रेम का झरना।
आशीशों की बारिश, सिर पर हाथ का धरना।
छू लो चरण उनके, सब तीर्थों का संगम।
अनुभवों का खजाना, हर लेते सारे गम।
सिर पर साया जिनके, सौभाग्य बड़ा भारी।
वो नेह की गंगा है, दमके किस्मत सारी।
दमकते नैन दीपक से, बनाते आंख का तारा।
मोती प्यार के लेकर, बहाते स्नेह की धारा।
समंदर स्नेह भावों का, त्याग की ऐसी मूरत है।
जिनके आशीष में जीवन, जिंदगी खूबसूरत है।
कवि : रमाकांत सोनी सुदर्शन
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )