आजादी का अमृत उत्सव | Poem azadi ka amrit utsav
आजादी का अमृत उत्सव
( Azadi ka amrit utsav )
आजादी का अमृत उत्सव, घर में चलो मनायेंगे।
पापा ला दो एक तिरंगा, गीत वतन के गायेंगे।।
वीर शहीदों की कुर्बानी, फिर से याद करेंगे हम
भारत माँ की जय जयकार, मिलकर आज कहेंगे हम
रंगोली तोरन हारों से, आँगन खूब सजायेंगे।
पापा ला दो एक तिरंगा, गीत वतन के गायेंगे।।
13 से 15 तारीख तक, हर घर एक तिरंगा हो
जाति धर्म के रंग भूल कर, देशभक्ति में रंगा हो
पावन अवसर है पापा ये, देश ध्वजा फहरायेंगे।
पापा ला दो एक तिरंगा, गीत वतन के गायेंगे।।
हाँ बेटे हम भी लायेंगे, एक तिरंगा प्यारा सा
घर भी खूब सजायेंगे हम, सुंदर सुंदर न्यारा सा
परिवार के संग मिलकर के, उत्सव खूब मनायेंगे।
फहरा करके एक तिरंगा, गीत वतन के गायेंगे।।
उत्सव की इस धमा चौक में, “चंचल” इतना याद रहे
अपमान ना होवे इसका, शान सदा आबाद रहे
बोलो नहीं दिखावा होगा, दिल में इसे बसायेंगे।
फहरा करके एक तिरंगा, गीत वतन के गायेंगे।।