बूँद बचाये | Poem boond bachaye
बूँद बचाये
( Boond bachaye )
बूँद बूँद से सागर भरता
बूँद बूँद से गागर
हम बूँद बचाएंगे तो भर जायेगा चापाकल
बर्षा का जल तो अमृत है होता
पर सब कोई उसे है खाता
बोल रही कब से ये हमारी जमीन है
जल नहीं पेयजल की बड़ी कमी है
अब सब जन इस बात को ले जान
बर्षा जल बचाएंगे सब के दिल का हो अरमान
आने वाले बच्चे हैं आने वाली पीढ़ी है
टूट रहा है धीरे धीरे अभी तैयार सीढ़ी है