Poem boond bachaye

बूँद बचाये | Poem boond bachaye

बूँद बचाये

( Boond bachaye )

 

बूँद बूँद से सागर भरता
बूँद बूँद से गागर
हम बूँद बचाएंगे तो भर जायेगा चापाकल
बर्षा का जल तो अमृत है होता
पर सब कोई उसे है खाता
बोल रही कब से ये हमारी जमीन है
जल नहीं पेयजल की बड़ी कमी है
अब सब जन इस बात को ले जान
बर्षा जल बचाएंगे सब के दिल का हो अरमान
आने वाले बच्चे हैं आने वाली पीढ़ी है
टूट रहा है धीरे धीरे अभी तैयार सीढ़ी है

🍀

कवि : आलोक रंजन
कैमूर (बिहार)

यह भी पढ़ें :-

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *