Poem hey ishwar kya teri maya

हे ईश्वर क्या तेरी माया | Poem hey ishwar kya teri maya

हे ईश्वर क्या तेरी माया

( Hey ishwar kya teri maya )

 

हे ईश्वर क्या तेरी माया कहीं धूप कहीं पर छाया
लीला अपरंपार प्रभु तेरा खेल समझ ना आया
कहीं आंधी कहीं वर्षा खुशियों भरा मधुमास हरसा
बाद कहीं सूखा मिलता बिन पानी के प्यासा तरसा
झरनों से जल बरसाया पहाड़ों पर चमन महकाया
तेरा खेल समझ ना आया

 

छप्पर फाड़ देने वाले पल में सब कुछ लेने वाले
कहां ठिकाना ठौर कहां सबके दिल में रहने वाले
लिए घूमे सारी दुनिया हाथी घोड़े माल खजाने
किसको क्या तू दे देता है तेरी लीला तू ही जाने
तू सुदामा मित्र माधव नंगे पैरों दौड़ा आया
तेरा खेल समझ ना आया

 

सारे जग के हे रखवाले अब मेरी नैया तेरे हवाले
पतवार को पार करा दे सब के संकट हरने वाले
तेरी मर्जी यहां पर चलती तू जग का पालनहारा
डूबी नैया पार लगा दे हमको है प्रभु तेरा सहारा
सबको जीवन देने वाले रोम रोम में तू समाया
तेरा खेल समझ ना आया

 

पल में पलट दे काया सारी रंगमंच किरदार की
पल में बहा दे पून सुहानी सद्भाव की प्यार की
पल में प्रलय हो भयंकर विप्लव सारे संसार में
पल में सच हो जाए सपने ईश्वर तेरे दुलार से
हम कठपुतली तू बाजीगर क्या खेल रचाया
तेरा खेल समझ ना आया

 ?

कवि : रमाकांत सोनी सुदर्शन

नवलगढ़ जिला झुंझुनू

( राजस्थान )

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