Poem in Hindi on Mahashivratri
Poem in Hindi on Mahashivratri

महाशिवरात्रि

( Mahashivratri ) 

 

ज्योतिर्लिंग की महिमा है न्यारी,
भोले शंकर के हम हैं पुजारी।
महाशिवरात्रि के महापर्व पर,
जलाभिषेक की परम्परा हमारी।

तन पर भस्म सुशोभित होती,
गले में सर्प की माला सजती।
माथे पर चंदा लगता है अच्छा,
जटा से गंगा की धारा बहती।

शिवलिंग पऱ बेल- पत्र चढ़ाते,
केसर, धतूर, दूध भोग लगाते।
दिल में बसते भोले भंडारी,
जन्म -जन्म का संताप मिटाते।

हलाहल पीकर अमृत पिलाए,
पंचमुखी, त्रिनेत्र सबको भाए।
हाथ में सोहे वो डमरू -त्रिशूल,
त्रिलोक के स्वामी स्वयंभू आए।

हर हर महादेव शिव सिद्दीश्वर,
उनको काशी ज्यादा है प्यारी।
ॐ शिव-शंकर, भव -भंजन,
पार्वती प्यारे सुध लो हमारी।

 

रामकेश एम यादव (कवि, साहित्यकार)
( मुंबई )
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