लालसा | Poem laalasa
लालसा
( Laalasa )

( Laalasa )

संयम करना सिखा दिया तेरे प्यार ने सिखा दिया, कैसे दर्द को हँसते हुए सहना है। तुझे अपनी यादों में बसाकर, तुझमें ही खोया रहना है। तेरे ख्यालों ने समझाया, दूरी को कैसे सहेजा जाता है। तेरी याद मात्र से भी मुस्काना, यह प्यार में कितना मज़ा आता है। तेरी बातों की मिठास, हर दर्द…

तेरी हर बात ( Teri har baat ) कभी चैत्र- बैसाख की पवित्र गरिमा लिये कभी गर्म लू सी ज्येष्ठ- आषाढ़ की तपन लिये कभी सावन-भादों सी छमाछम पावस की बूंदें लिये कभी त्योहारों सीआश्विन-कार्तिक के मीठे नमकीन लिये कभी मार्गशीर्ष-पौष की कड़कड़ाती रातों की सर्दी लिये कभी माघ- फाल्गुन…

कहां गए वो दिन ( Kahan gaye woh din ) कहां गए वो दिन प्यार भरे, कहां गई सुहानी रातें। कहां गए वो अपने सारे, कहां गई वो मीठी बातें। कहां गए वो दिन,कहां गए वो दिन। आधुनिकता के चक्कर में, धन के पीछे भाग रहे। मनमर्जी के घोड़े दौड़ाए, रातदिन जन जाग…

जीवन आदर्श ( Jeevan adarsh ) मैने देखा एक छोटी सी जिंदगी की अहमियत, और इसके साथ प्रकृति की सहूलियत। मैंने देखा उस नन्हीं सी कली को खिलते, विकसित होते, जीने की आशा लिए प्रसन्नचित्त। न भविष्य का भय न अतीत की चिंता, बस कोमल पंखुड़ियों से अपनी सुन्दरता खूबसूरती और आदर्शता को लोगों…

कविता ( Kavita ) युगो युगो से कविता महकी सदियों अलख जगाई दिलों तक दस्तक दे जाती शब्द सुधा रस बरसाई भावों की बहती सरिता काव्यधारा बन बह जाती जनजागरण जोत जला उजियारा जग में फैलाती प्रेम की पावन गंगा सी सद्भावों की अविरल धारा देशप्रेम जन मन जगाती हरती मन का…

कोप कुदरत का ( Kop kudrat ka ) कुदरत कोप कर रही सारी आंधी तूफान और महामारी फिर भी समझ न पाया इंसां भूल हुई है अब हमसे भारी खनन कर खोखली कर दी पावन गंगा में गंदगी भर दी पहाड़ों के पत्थर खूब तोड़े खुद ही खुद के भाग्य फोड़े सड़के …