Poem on Aashiqui

आशिक़ी | Poem on Aashiqui

आशिक़ी

( Aashiqui ) 

 

चढ़ा है सोलहवें बरस का ये पानी,
रहना सजग तू दुुनिया दीवानी।

उतरकर सितारे करेंगे वो बातें,
मोहब्बत के लहजे में गुजरेंगी रातें।
नहीं मुझको अपनी इज्जत गंवानी,
रहना सजग तू दुुनिया दीवानी,
चढ़ा है सोलहवें बरस का ये पानी,
रहना सजग तू दुुनिया दीवानी।

उभरती है देखो जब भी जवानी,
बनती है कोई न कोई कहानी।
जरूरी हवा है, जरूरी है पानी,
रहना सजग तू दुुनिया दीवानी,
चढ़ा है सोलहवें बरस का ये पानी,
रहना सजग तू दुुनिया दीवानी।

जवानी नहीं मेरी बाजार तेरी,
जवानी नहीं मेरी जागीर तेरी।
आशिकी की राहें माना तूफानी,
रहना सजग तू दुुनिया दीवानी,
चढ़ा है सोलहवें बरस का ये पानी,
रहना सजग तू दुुनिया दीवानी।

 

रामकेश एम यादव (कवि, साहित्यकार)
( मुंबई )
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