
वो एक क़िताब
( Wo ek kitab )
सम्पूर्ण इतिहास समेटकर रखतीं वो एक क़िताब,
देश और विदेशों में पहचान बढ़ाती यहीं क़िताब।
शक्ल सूरत से कैसे भी हो देती सबको यें सौगात,
हर प्रश्न का उत्तर है एवं श्रेष्ठ सलाहकार क़िताब।।
क़िताबें पढ़कर आगें बढ़ता संसार का यें नर नार,
भरा पड़ा है ज्ञान-विज्ञान का खज़ाना अपरम्पार।
जो मन से पढ़ता है इसको खुल जातें उसके द्वार,
किस्मत खोल देती क़िताबें ज्ञान का होती भंडार।।
गुल नये यह खिलाती है एवं सपने साकार करतीं,
उमंग-तरंग से जोश दिलाती जीवन में रंग भरती।
अस्वस्थ को स्वस्थ व रोगग्रस्त का ईलाज बताती,
मुश्किलों से लड़ना भी यह क़िताब हमें सिखाती।।
चाहें धनवान चाहें निर्धन सबको समान समझती,
जो इससे दिल लगाता उसे झूकनें नहीं यह देती।
क्या होती है दुख की भाषा व सुख की परिभाषा,
बेजुबान होती है क़िताब पर सबको पाठ पढ़ाती।।
पायलेट डाॅक्टर इंजीनियर सब बनतें इसे पढ़कर,
मातृभूमि की सुरक्षा करतें यें जवान सर उठाकर।
दर बदर की ठोकरें ना खाते जो होते आत्मनिर्भर,
पाते है नाम शोहरत पढ़े इसे सरस्वती समझकर।।
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