Poem on waqt
Poem on waqt

वक्त बदलते देर ना लगती

( Waqt badalte der na lagti ) 

 

समय बड़ा बलवान भैया दुनिया में करतार की चलती।
कब डूबी नैया पार हो जाए वक्त बदलते देर ना लगती।
वक्त बदलते देर ना लगती

संकट का समय आए तो साहस रखना धीरज धरना।
सुखों का सागर उमड़े तो सबका आदर सम्मान करना।
गुमान में लंका ढह गई काली अंधियारी निशाएं ढलती।
राजा भी कब रंक हो जाए वक्त बदलते देर ना लगती।
वक्त बदलते देर ना लगती

वो किस्मत वाले होते हैं प्रेम सुधा रस नित बरसाते।
जिनके शुभ कर्मों के आगे हालात खुद ही ढल जाते।
उनका बिगड़ा यदा समय फिर भी प्रीत भावों में पलती।
सुखद घड़ियां फिर से आती वक्त बदलते देर ना लगती।
वक्त बदलते देर ना लगती

समर्थ हो तो जा संभालो खुद को समय सांचे में ढालो।
परोपकार जरा अपना लो दीन हीन को गले लगा लो।
आज तुम्हारा वक्त खड़ा है लेकिन उम्र फिर भी ढलती।
करो जरा जो तुमको करना वक्त बदलते देर ना लगती।
वक्त बदलते देर ना लगती

 

रचनाकार : रमाकांत सोनी सुदर्शन

नवलगढ़ जिला झुंझुनू

( राजस्थान )

यह भी पढ़ें :-

शहर रात भर रोता रहा | Kavita shahar raat bhar rota raha

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here