विचारों का है प्रकटीकरण | Poem vicharo ka hai prakatikaran
विचारों का है प्रकटीकरण
( Vicharo ka hai prakatikaran )
श्राद्ध पक्ष पूर्वजों को समर्पण
पुरखों को कर दो तर्पण
कुआं ताल पर जल अर्पण
उड़द चावल से, आमंत्रण
कुशा पैती किया धारण
काले तिल मंत्र है उच्चारण
दे रहे उन्हें है निमंत्रण
अग्रजो का करें अनुकरण
पूर्वजों का यह है स्मरण
विश्वास लिए है अंतःकरण
मिली आशीष है पुष्टिकरण
भूल चूक का है निराकरण
बनाकर , कागौर देखो
स्वान गाय कौवा कन्या
दे उन्हें करें आवाहन
मंत्रोचार हवन पूजन
श्राद्ध पक्ष को करें समर्पण
भारतीय संस्कृति का यह
है निराला न्यारा दर्पण
पितरों को करें आवाहन
अपने धर्म का करें निर्वहन
पीढ़ी दर पीढ़ी करें हस्तांतरण
कागा आना है प्रमाणीकरण
वेद पुराणों मे है विवरण
पुरखों का यह अवतरण
श्वेत उनका है आवरण