समांं महका दो आज
समांं महका दो आज

समांं महका दो आज

(  मनहरण घनाक्षरी छंद )

 

गीतों का सजाओ साज
समां महका दो आज
झड़ी बरसाओ ऐसी
धूम होनी चाहिए

 

खूब गाओ छंद गीत
मुक्त कंठ नव गीत
रस बरसे प्रेम का
भाव होना चाहिए

 

शौर्य पर लिखो गीत
योद्धा जंग जाए जीत
हिम्मत हौसला मिले
ओज होना चाहिए

 

शब्द शब्द मोती चुन
ताना बाना ऐसा बुन
कविता में प्रेम भरा
रस होना चाहिए

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कवि : रमाकांत सोनी

नवलगढ़ जिला झुंझुनू

( राजस्थान )

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