Navratri kavita

नवरात्रि | Navratri

देवी स्कंदमाता

“या देवी सर्वभूतेषु मातृ रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः “।।

मां सिद्धिदात्री

नवरात्रि का अंतिम दिन देवी सिद्धिदात्री की पूजा अर्चना होती है।

मां सभी सिद्धियों को प्रदान करती है।

भगवान शिव को सिद्धियां देवी की पूजा से ही प्राप्त हुई थी।

मां सिद्धिदात्री की सिद्धियों के कारण ही शिवशक्ति का रूप अर्धनारीश्वर का जन्म हुआ।

माता सिद्धिदात्री का वाहन सिंह है।

चतुर्भुज देवी के दाएं हाथों में ऊपर गदा और नीचे के हाथ में चक्र शोभायमान है।

माता के बाएं हाथों में ऊपर के हाथ में शंख व नीचे के हाथ में नीलकमल शोभा पाते हैं।

मां की पूजा उपासना कर कन्या पूजन हवन करना चाहिए।

माता को हलवा पूरी खीर आदि का भोग लगावे।

मां की आराधना से मनुष्य के जीवन में सुख शांति की प्राप्ति होती है।

महागौरी मैया

( नवरात्रि के आठवें दिन महाअष्टमी को महागौरी का पूजन किया जाता है )

अष्ट वर्षा भवेद गौरी
अष्टम शक्ति महागौरी

जय महागौरी जगत जननी
शिव संग कैलाश पर्वत पर विराजे
शक्ति दायिनी

ज्ञान सत्कर्म की ज्योति जला दो
जग में पसरा अंधेरा मिटा दो

शंख चंद्र और कुंद पुष्प सी
उप मा तेरे गौर वर्ण की

आसीन वृषभ पर होती तुम
सुव सानी शांत मूर्ति तुम

श्वेत वस्त्र श्रंगार श्वेत
मन को अद्भुत आनंद देत

चार भुजाएं तुम्हारी देवी
अभय और वर मुद्रा लेती

घोर तप कर शिव को पाया
गौर तेज फिर देह समाया

जन्म जन्म के पाप मिटाती
झोली भर आशीष लुटाती

“माॅं कालरात्रि”

( नवरात्रि के सप्तम दिन देवी कालरात्रि का पूजन किया जाता है )

कालरात्रि असुर विनाशक
रक्तबीज के तुम संहारक,
विद्युत विराल समान अंग तुम्हारा
अंधकार सामान रंग तुम्हारा,
तुम त्रिनेत्र धारणी दुर्गा
तुम चंद्रमुकुट धारणी दुर्गा,
तुम धुमोरना तुम रोद्री
तुम शुभंकारी हो कालरात्रि,
मां गंदर्भ सवारी तुम्हारी है
ज्वालामई श्वासें तुम्हारी है,
चारभुजाऍं है तुम्हारी माता
धारण करती खड्ग व काॅंटा,
अभय और वरमुद्रा तुम धरती
भक्तों को भय मुक्त तुम करती,
काले घने तिमिर सामान केस
अत्यंत भयंकर तुम्हारा भेस,
मां हर भय से तुम मुक्त करो
शुभता के फल से तृप्त करो,
नवदुर्गा की सप्तम शक्ति
मैं बारंबार नमन करती,

मां कात्यायिनी

( नवरात्रि के छठे दिन मां कात्यायिनी का पूजन किया जाता है मां कात्यायिनी )

ऋषि कात्यायन के गोत्र में जन्म लेने के कारण देवी का नाम कात्यायिनी पड़ा

देवी दिव्यता की अति गुप्त रहस्य, एवं शुभता का प्रतीक है।

देवी मनुष्य के आंतरिक सूक्ष्म जगत से नकारात्मकता का नाश कर सकारात्मकता प्रदान करती है।

देवी कात्यायनी का वाहन खूंखार सिंह है।

देवी की चार भुजाएं हैं दाहिनी भुजा अभय मुद्रा व वर मुद्रा में है।

देवी की बाई भुजा में चंद्रहास व कमल का पुष्प धारण किए हुए हैं।

देवी की आराधना एकाग्रता से करने पर धर्म अर्थ काम मोक्ष की प्राप्ति होती है।

देवी की उपासना कर शहद का भोग लगाएं।

मां कात्यायिनी की पूजा से जीवन में खुशहाली यौवन और संपन्नता बनी रहती है।

मां स्कंद कुमार कार्तिकेय की माता होने के कारण इन्हें स्कंदमाता नाम से पुकारा जाने लगा।

भगवान स्कंद बाल रूप में माता की गोद में विराजित है।

मां का वर्ण एकदम शुभ्र है ये कमल के आसन पर विराजमान रहती है।

मां स्कंदमाता का वाहन सिंह है।

देवी के चार भुजाएं हैं दो भुजाओं में कमल पुष्प धारण किए हुए हैं।

एक भुजा में कुमार कार्तिकेय को गोद में पकड़े हुए हैं।

एक भुजा में माता वर मुद्रा में है।

माता का यह स्वरूप वात्सल्य पूर्ण होने के कारण मां के हाथों में शस्त्र नहीं होते हैं।

मां की उपासना से भक्तगण मृत्यु लोक में भी परम शांति और सुख प्राप्त कर सकते हैं।

मां को केले का भोग अर्पण करने से परिवार में सुख शांति आती है।

नवरात्रि तृतीय दिवस

( जय माता दी आज हम तृतीय दिवस के दिन मां चंद्रघंटा की आराधना करते हैं )

या देवी सर्वभूतेषु चंद्रघंटा रुपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

मां दुर्गा की तीसरी शक्ति का नाम चंद्रघंटा है।

दिव्य सुगंधियो का अनुभव, एवं दिव्या ध्वनियां सुनाई देती है।

मां परम शांतिदायक एवं कल्याणकारी देवी है।

शरीर स्वर्ण से चमकीला मां के दस भुजाएं हैं।

मां के दशोभुजाओं में खड़क , शस्त्र, बाण, विभूषित है।

मां का वाहन सिंह है इनकी मुद्रा युद्ध उद्धत होती है।

मां सदा अपने भक्तों की प्रेत बाधा से रक्षा करती है।

मां का स्वरूप अत्यंत सौम्य एवं शांति से परिपूर्ण है।

मां के मुख नेत्र संपूर्ण काया कांति से गुणों की वृद्धी होती है।

स्वरों में दिव्य अलौकिक माधुर्य का समावेश होता है।

मां के आराधक के शरीर से दिव्य प्रकाश युक्त परमाणु ऊर्जा प्राप्त होती है।

मां मन वचन कर्म एवं कार्य विधि विधान परिषद के अनुसार है।

मां चंद्रघंटा के शरणागत होकर उनकी उपासना आराधना तत्पर रहें।

मां चंद्रघंटा को आज दही और हलवा का भोग लगाया जाता है।

मां से सांसारिक कष्टों से विमुक्त होकर सहज परम पद प्राप्त होता है।

नवरात्रि के दूसरे दिन

” या देवी सर्वभूतेषु सृष्टि रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः “।।

परम ब्रह्म जिसका आदि न अंत है।

ब्रह्म सरूपा चेतना का स्वरूप है मां ब्रह्मचारिणी।

मां ने शिवजी को पति रूप में पानी के लिए कठोर तप किया था।

तब उन्हें ब्रह्म ज्ञान प्राप्त हुआ और उनका नाम ब्रह्मचारिणी पड़ा।

मां की पूजा अर्चना से असीमित अनंत शक्तियों का वरदान प्राप्त होता है।

मां के एक हाथ में कमंडल और दूसरे हाथ में जप माल होती है।

मां ब्रह्मचारिणी को कमल वी गुड़हल के फूल अर्पित करें।

मां को चीनी मिश्री वह पंचामृत का भोग लगावे।

देवी मां प्रसन्न होकर दीर्घायु एवं सौभाग्य प्रदान करती है।

प्रथम नवरात्रि

( Pratham Navratri )

“या देवी सर्वभूतेषु प्रकृति रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः”।।

नवरात्रि के प्रथम दिन शैलपुत्री मां का पूजा अर्चना की जाती है।

पर्वत राज हिमालय के घर देवी ने पुत्र रूप में जन्म लिया।

प्रकृति का प्रतीक इसी कारण मां नाम शैलपुत्री पड़ा।

मां शैलपुत्री जीवन के हर क्षेत्र में सफलता का सर्वोच्च शिखर प्रदान करती है।

मां के दाएं हाथ में त्रिशूल व बाएं हाथ में कमल का फूल है ।

मां शैलपुत्री वृषभ पर सवारी करती है।

मां के स्वरूप को लाल व सफेद रंग अती प्रिय है।

इस दिन लाल व सफेद पुष्प व सिंदूर मां को अर्पित किया जाता है।

मां को गाय के घी व दूध से बनी मिठाई का भोग लगाया जाता है।

मां शैलपुत्री के पूजा अर्चना से रोगों को दूर भगाया जा सकता है।

मां शैलपुत्री दरिद्रता को मिटा संपन्नता लाती है।

नौ रूपों की नवरात्रि

नौ रूपों की महिमा न्यारी वाणी कह नहीं पाती
नवरात्रि में नवदुर्गा नव नव रूप दिखाती ।

तु अंबे तू ही जगत जननी मां तुझे नमन।
मां तेरे चरणों में कोटि-कोटि नमन।

मैया तेरी कृपा से भवसागर पार हो जाए।
मां तेरी दया से धन धान्य के भंडार भर जाए।

तेरी भव्यता के आगे समस्त सप्त ऋषि समा जाएं।
तेरी गोद में संपूर्ण संसार खिल जाए।

शैलपुत्री रूप में भक्तों पर धन-धान्य लुटाती ।
ब्रह्मचारिणी देवी तप त्याग संयम गुणों को दे जाती।

चंद्रघंटा रूप में शक्ति प्रदायक बन जाती।
कुष्मांडा रूप में देवी उन्नति वैभव सद्बुद्धि देती।

स्कंदमाता के रूप में समस्त कामनाएं पूर्ण कर मानव जीवन संवारती।
मां कात्यायनी के रूप में अलौकिक तेज फैलाती।

मां कालरात्रि भक्तों को शुभता का फल देती भय मुक्त करती।
महागौरी रूप संतति वरदायिनी श्वेत वस्त्र धवल सृष्टि सज जाती।

सिद्धिदात्री सभी सिद्धियों को प्रदान करती है।
मां की श्रद्धा भक्ति मन में बसे नव वरदानों से संवारती।

नवरात्रि में नव दुर्गा नव नवरूप दिखाती।
नौ रूपों की महिमा न्यारी वाणी कह नहीं पाती।

Lata Sen

लता सेन

इंदौर ( मध्य प्रदेश )

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