Prem ke geet
Prem ke geet

हम जाएं कहीं महक साथ होगी

( Hum jaen kahin mehak sath hogi ) 

 

हम जाएं कहीं महक साथ होगी
वो कितनी हसीं मुलाकात होगी
चमन सा महकता ये मन मेरा
भावों में अद्भुत कोई बात होगी

 

कुंदन सा महके भावो का सितारा
हुआ है असर शुभ कर्मों का सारा
परख लो कसौटी पर खरा हूं
महकता सा दमकता सितारा
हमसे मिलो तुम कुछ बात होगी
मधुर तरानों की बरसात होगी
हम जाएं कहीं महक साथ होगी
जज्बातों की नई सौगात होगी
हम जाएं कहीं महक साथ होगी

 

महका आंगन चेहरा खिला सा
शब्दों का जादू लब पे मिला था
दिलों की बातें गीतों में आए
हिमालय कहीं कोई हिला था
भावों की गंगा हम बहाने चले हैं
किनारों पे सुहानी बरसात होगी
प्रित के मोती रिश्तो में बरसे
जगमग दिवाली सी रात होगी
हम जाएं कहीं महक साथ होगी

 

हिम्मत हमारी हौसला हमारा
साथ सदा ही देता है सारा
मौसम सुहाना वो राहें सुहानी
डूबे को आखिर मिलता किनारा
सागर की लहरें उठी मेरे मन में
कविता की कहीं कोई बात होगी
कलम ने उकेरा प्यारा सा तराना
शब्द सुधारस की बरसात होगी
हम जाएं कहीं महक साथ होगी

 

 

रचनाकार : रमाकांत सोनी सुदर्शन

नवलगढ़ जिला झुंझुनू

( राजस्थान )

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