प्रेम की भाषा हिंदी | Prem ki Bhasha
प्रेम की भाषा हिंदी
( Prem ki Bhasha )
ज़बानो के जमघट में
एक ज़बान है नायाब
हमारी ज़बान”हिंदी”
जिसमें एक लफ्ज़ के
होते हैं कई मुतादरीफ़।
एक “मोहब्बत व ईश्क”को
प्यार कहो या प्रेम
सुर कहो या रश्क
ममता कहो या प्रीति
संस्कृति कहो रीति रिवाज
नाज कहो या लाज….
यह हिन्दी है
माथे की बिंदी है।
मनजीत सिंह
सहायक प्राध्यापक उर्दू
कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय ( कुरुक्षेत्र )
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