प्रेम की कश्ती | Prem ki Kashti
प्रेम की कश्ती
( Prem ki Kashti )
प्रेम की कश्ती हो और बाहों का सहारा हो,
सफ़र इश्क़-ऐ-समन्दर का, दूर किनारा हो !
मुहब्बत की पनाहों में गुज़रते हो हसीं पल
ज़िन्दगी का कैसा खूबसूरत वो नज़ारा हो !
कितने ज़्यादा खुशनसीब होते है वो लोग
जिन्हें मिला हर कदम प्यार में सहारा हो !
इस जिन्दगी की पतवार सम्भाले जो हाथ,
एक हाथ हमारा हो, एक हाथ तुम्हारा हो !
हर एक शख्स की चाहत होती जीवन में,
दुनिया से खूबसूरत हमसफ़र हमारा हो!!
डी के निवातिया