प्यार की जब उससे दोस्ती टूटी है
प्यार की जब उससे दोस्ती टूटी है
प्यार की जब उससे दोस्ती टूटी है!
रोज़ तन्हाई से जिंदगी टूटी है
हर घड़ी नफ़रतों की रवानी थी बस
वो न दिल से उसके दुश्मनी टूटी है
डूबी है जिंदगी ही नशे के ग़म में
प्यार की ही दिल से मयकशी टूटी है
घेर लिया है ग़मों ने आकर आंसू से
जीस्त के बीज सफ़र में ख़ुशी टूटी है
दें गया वो दग़ा बीज सफ़र में मुझे
प्यार से ही भरी आशिक़ी टूटी है
बू गुलिस्तां में आज़म नफ़रत की फ़ैली
आज ख़ुशबू भरी वो कली टूटी है