Rai ka Pahad

राई का पहाड़ | Rai ka Pahad

राई का पहाड़

( Rai ka pahad )

 

क्यों  बनाता  है ? राई  को  पहाड़  तू,

क्यों  बात  छोटी को  बनाता  ताड़  तू।

 

टूट  कर  पत्थर  बना  कंकड़  सदा ही

है  गया  फेका  कहीं  भी  बेवजह  ही

सह गया  जो  चोट पत्थर मार  खाकर

पूजा  गया  भगवान    बन  सर्वदा  ही

 

शैल  क्या  जो  टूट  जाए चोट खाकर,

बन कंकड़ सा खुद को रहा बिगाड़ तू।

 

सीख  लो  सहना  दो  बातें अपनों का

फिर   बनेंगे  रिस्तें  पावन  सपनों  का

देख  लो  पहले  क्रोध  को  पाल  कर

तभी   बढ़ेगा  प्रेम  अपने  अपनों  का

 

अब  बोल  कर खोटी-खरी ना ताड़ तू,

क्यों  बनाता  है ? राई  को  पहाड़  तू।

 

सहनशीलता    ही   तेरी   पहचान  है

सबके   नजरों   में वही  बुद्धिमान  है

है  बोलता  कौवा  सी  बोली बोल जो

वह  धुर्त  और  सबमें  वही बेइमान है

 

अब न आपसी व्यवहार को बिगाड़ तू

क्यों  बनाता  है ? राई  को  पहाड़  तू

 

क्यों  मौन  होकर  मानता  ना बात है

क्यों  बातों- बात  में  बढ़ाता  बात  है

परिवार  में  लड़ना सिखाता  है कौन?

मौन  होकर  मार  जा  जो जज़्बात है

 

फिर रिस्तों के महलों को न उजाड़ तू,

क्यों  बनाता  है ? राई  को  पहाड़ तू।

 

रचनाकार रामबृक्ष बहादुरपुरी

( अम्बेडकरनगर )

यह भी पढ़ें :-

सोच कर देखो | Pakshi par Kavita

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *