वह राम कहां से लाऊं मैं | राम पर कविता
वह राम कहां से लाऊं मैं

स्त्री हृदय ( Strī hridaya ) प्यार भरा हृदय आंखों में हया है, फिर भी यह जीवन तो सवालों से घिरा है माना अहसास है एक अपने अगल होने का हमें स्त्री का खुलकर जीना भी क्या यहाँ कोई सजा है ??????? बिखरे रंगों से पुस्पों की भांति ही सजाते हैं हम रंगोली प्रतिपल…
करगिल जंग ( Kargil Jung ) युद्ध के उस रंग में, दुश्मन के साथ जंग में, बहादुरी दिखा रहे थे हमारे रणबाँकुरे। टाइगर हिल हो या हो द्रास की वो पहाड़ियों, फिर से उसको हासिल कर रहे थे रणबाँकुरे। एटम-बम को जो गहना पहनाकर वो बैठे हैं, अधोपतन का उत्तर वो दे रहे थे रणबाँकुरे।…
राम अनुपमा ( Ram Anupama ) राम अनुपमा,उत्तम जीवन मर्यादा आह्वान जीवन आभा सहज सरल, शीर्ष वंश परिवार परंपरा । स्नेहिल दृष्टि उदार ह्रदय, वरित प्राणी जीव जंतु धरा । समता समानता भाव दर्शन, मुखमंडल नित सौम्य मुस्कान । राम अनुपमा,उत्तम जीवन मर्यादा आह्वान ।। तज राजसी ठाठ बाट, वनवास सहर्ष स्वीकार । निज…
सशक्त मैं समय हूँ वस्त्र मैं हूँ – अस्त्र मैं हूँ,शस्त्रों में शशक्त मैं हूं। धड़ कटे प्रलय मचे जो मैं रुकूं ना हो सके ये,समय मैं, समर्थ मैं जो रुकूं मैं ना हो सके ये। हो जाए संभव अगर यह बोलूं ना समय मैं खुदको,खंजरों-कटारों से जो सर्व शक्तिमानों से। बेड़ियों से जकड़ लो,तुम…
21 वीं सदी का यथार्थ देव संस्कृति देव भाषा देव लोक की विदाई मानव का प्रौद्योगिकीकरण जड-चेतन का निशचेतन छायावाद का प्रचलन चार्वाक का अनुकरण कृत्रिम इच्छा का सृजन कृत्रिम मेधा का उत्पादन बाजारों के बंजारें आत्ममुग्धता की उपभोक्तायें मानवता का स्खलन सभ्यता का यांत्रिकरण बिलगेटस,मस्क का खगोलीकरण अंबानी,अडानी का आरोहण मूल्यों-नीतियों का मर्दन रक्तबीजों…
कैसे उड़े अबीर ( Kaise Ude Abir ) फागुन बैठा देखता, खाली है चौपाल । उतरे-उतरे रंग है, फीके सभी गुलाल ।। ●●● सजनी तेरे सँग रचूँ, ऐसा एक धमाल । तुझमे खुद को घोल दूँ, जैसे रंग गुलाल ।। ●●● बदले-बदले रंग है, सूना-सूना फाग । ढपली भी गाने लगी, अब तो बदले…
स्त्री हृदय ( Strī hridaya ) प्यार भरा हृदय आंखों में हया है, फिर भी यह जीवन तो सवालों से घिरा है माना अहसास है एक अपने अगल होने का हमें स्त्री का खुलकर जीना भी क्या यहाँ कोई सजा है ??????? बिखरे रंगों से पुस्पों की भांति ही सजाते हैं हम रंगोली प्रतिपल…
करगिल जंग ( Kargil Jung ) युद्ध के उस रंग में, दुश्मन के साथ जंग में, बहादुरी दिखा रहे थे हमारे रणबाँकुरे। टाइगर हिल हो या हो द्रास की वो पहाड़ियों, फिर से उसको हासिल कर रहे थे रणबाँकुरे। एटम-बम को जो गहना पहनाकर वो बैठे हैं, अधोपतन का उत्तर वो दे रहे थे रणबाँकुरे।…
राम अनुपमा ( Ram Anupama ) राम अनुपमा,उत्तम जीवन मर्यादा आह्वान जीवन आभा सहज सरल, शीर्ष वंश परिवार परंपरा । स्नेहिल दृष्टि उदार ह्रदय, वरित प्राणी जीव जंतु धरा । समता समानता भाव दर्शन, मुखमंडल नित सौम्य मुस्कान । राम अनुपमा,उत्तम जीवन मर्यादा आह्वान ।। तज राजसी ठाठ बाट, वनवास सहर्ष स्वीकार । निज…
सशक्त मैं समय हूँ वस्त्र मैं हूँ – अस्त्र मैं हूँ,शस्त्रों में शशक्त मैं हूं। धड़ कटे प्रलय मचे जो मैं रुकूं ना हो सके ये,समय मैं, समर्थ मैं जो रुकूं मैं ना हो सके ये। हो जाए संभव अगर यह बोलूं ना समय मैं खुदको,खंजरों-कटारों से जो सर्व शक्तिमानों से। बेड़ियों से जकड़ लो,तुम…
21 वीं सदी का यथार्थ देव संस्कृति देव भाषा देव लोक की विदाई मानव का प्रौद्योगिकीकरण जड-चेतन का निशचेतन छायावाद का प्रचलन चार्वाक का अनुकरण कृत्रिम इच्छा का सृजन कृत्रिम मेधा का उत्पादन बाजारों के बंजारें आत्ममुग्धता की उपभोक्तायें मानवता का स्खलन सभ्यता का यांत्रिकरण बिलगेटस,मस्क का खगोलीकरण अंबानी,अडानी का आरोहण मूल्यों-नीतियों का मर्दन रक्तबीजों…
कैसे उड़े अबीर ( Kaise Ude Abir ) फागुन बैठा देखता, खाली है चौपाल । उतरे-उतरे रंग है, फीके सभी गुलाल ।। ●●● सजनी तेरे सँग रचूँ, ऐसा एक धमाल । तुझमे खुद को घोल दूँ, जैसे रंग गुलाल ।। ●●● बदले-बदले रंग है, सूना-सूना फाग । ढपली भी गाने लगी, अब तो बदले…
स्त्री हृदय ( Strī hridaya ) प्यार भरा हृदय आंखों में हया है, फिर भी यह जीवन तो सवालों से घिरा है माना अहसास है एक अपने अगल होने का हमें स्त्री का खुलकर जीना भी क्या यहाँ कोई सजा है ??????? बिखरे रंगों से पुस्पों की भांति ही सजाते हैं हम रंगोली प्रतिपल…
करगिल जंग ( Kargil Jung ) युद्ध के उस रंग में, दुश्मन के साथ जंग में, बहादुरी दिखा रहे थे हमारे रणबाँकुरे। टाइगर हिल हो या हो द्रास की वो पहाड़ियों, फिर से उसको हासिल कर रहे थे रणबाँकुरे। एटम-बम को जो गहना पहनाकर वो बैठे हैं, अधोपतन का उत्तर वो दे रहे थे रणबाँकुरे।…
राम अनुपमा ( Ram Anupama ) राम अनुपमा,उत्तम जीवन मर्यादा आह्वान जीवन आभा सहज सरल, शीर्ष वंश परिवार परंपरा । स्नेहिल दृष्टि उदार ह्रदय, वरित प्राणी जीव जंतु धरा । समता समानता भाव दर्शन, मुखमंडल नित सौम्य मुस्कान । राम अनुपमा,उत्तम जीवन मर्यादा आह्वान ।। तज राजसी ठाठ बाट, वनवास सहर्ष स्वीकार । निज…
सशक्त मैं समय हूँ वस्त्र मैं हूँ – अस्त्र मैं हूँ,शस्त्रों में शशक्त मैं हूं। धड़ कटे प्रलय मचे जो मैं रुकूं ना हो सके ये,समय मैं, समर्थ मैं जो रुकूं मैं ना हो सके ये। हो जाए संभव अगर यह बोलूं ना समय मैं खुदको,खंजरों-कटारों से जो सर्व शक्तिमानों से। बेड़ियों से जकड़ लो,तुम…
21 वीं सदी का यथार्थ देव संस्कृति देव भाषा देव लोक की विदाई मानव का प्रौद्योगिकीकरण जड-चेतन का निशचेतन छायावाद का प्रचलन चार्वाक का अनुकरण कृत्रिम इच्छा का सृजन कृत्रिम मेधा का उत्पादन बाजारों के बंजारें आत्ममुग्धता की उपभोक्तायें मानवता का स्खलन सभ्यता का यांत्रिकरण बिलगेटस,मस्क का खगोलीकरण अंबानी,अडानी का आरोहण मूल्यों-नीतियों का मर्दन रक्तबीजों…
कैसे उड़े अबीर ( Kaise Ude Abir ) फागुन बैठा देखता, खाली है चौपाल । उतरे-उतरे रंग है, फीके सभी गुलाल ।। ●●● सजनी तेरे सँग रचूँ, ऐसा एक धमाल । तुझमे खुद को घोल दूँ, जैसे रंग गुलाल ।। ●●● बदले-बदले रंग है, सूना-सूना फाग । ढपली भी गाने लगी, अब तो बदले…