राम तेरा गुण गाउं | Ram Tera Gun Gaun
राम तेरा गुण गाउं
( Ram Tera Gun Gaun )
निरखी प्रभु जब
मूरत तेरी
हलचल सी मची
जिया में मेरे
हुई प्रफुल्लित
मन की बगिया
रोम रोम में समाये
राजा राम रसिया
नशीली आंखों के
गहरे समंदर में
डूबूं,उतरूं,तैरूं,
और कभी मैं ठहरूं l
देख मनोहारी छवि
बलिहारी मैं जाऊं l
रसीले अधरों से
प्रेम रस टपकता है l
ऐसा लगता
तू खड़े-खड़े
मुझसे बातें करता है l
भर अधरन मुस्कान
अधमुंदे नैनों से
ना जाने तू
क्या-क्या कहता है l
जो अपने मन की बातें
तुझसे कहता है
तू सब की बातें सुनता है l
है दयालू ~ कृपालू
सब पर तेरा
प्रेम बरसता है l
तू ही जाने प्रभु
तू क्या-क्या कहता
क्या-क्या करता है l
कभी जरा हटके बोले
प्रभु तू सबकी सुनता है l
प्रभु तू ही सबके
कराज पूर्ण करता है l
राजेंद्र कुमार रुंगटा
बिलासपुर (छत्तीसगढ़)