Geet | रंग गालो पे कत्थई लगाना
रंग गालो पे कत्थई लगाना
( Rang Gaalon Par Kathai Lagana)
अबके फागुन में ओ रे पिया
भीग जाने दो कोरी चुनरिया
मीठी मीठी सी बाली उमरिया
भीग जाने दो कोरी चुनरिया
हम को मिल ना सकें
तेरे रहमो करम
सात रंगों में डूबे सातो जन्म
रंग गालो पे कत्थई लगाना
धीमे धीमें से खोलो किवडिया
भीग जाने दो कोरी चुनरिया
रंग प्रीत का धानी बहुत है
ये नशा भी बहुत ही सुहाना
एसे अल्हड से फागुन समा मे
हमको अपने गले से लगाना
अंग अंगवा से बरसे बदरिया
भीग जाने दो कोरी चुनरिया
डॉ. अलका अरोड़ा
“लेखिका एवं थिएटर आर्टिस्ट”
प्रोफेसर – बी एफ आई टी देहरादून
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