Kavita on Republic Day | गणतंत्र दिवस
गणतंत्र दिवस
( Republic Day )
भाल भारत का सजाओ रे,
दिवस गणतंत्र का है आयो रे।
जनतंत्र का जो ग्रंथ २६.११.१९४९ को हुआ तैयार,
अपनाने को जिसे थे हम बेकरार।
जनवरी २६,१९५० को हुआ लागू,
निर्माता थे प्यारे अम्बेडकर बाबू।
यह संविधान भारत का,कहलायो रे,
विश्व में कई कीर्तिमान जिसने बनायो रे।
अध्यक्ष इसके थे डाक्टर राजेंद्र प्रसाद,
२वर्ष ११ माह १८ दिन में हुआ तैयार।
यह अमूल्य रत्न कहायो रे,
भाल भारत का पुनः आज सजाओ रे;
दिवस गणतंत्र का जो आयो रे।
प्रस्तावना है इसका सार,
नीति निर्देशक तत्व इसका विस्तार।
इसी विधान पर चलती सरकारें,
जनता के सपने होती साकारें।
संसद विधान मंडलों में बने जो नीतियां,
ध्यान रखते सर्वोपरि जो पिछड़ी हैं जातियां।
अमीर गरीब समरूप जब चढ़ें सफलता की सीढ़ियां,
उन्नति करती चलें पीढ़ियां।
इसी नीति पर चल गाड़े हैं सफलता के झंडे,
७० सालों में ही हम कहां से कहां आ पहुंचे।
आओ इसे और दें संबल,
विश्वास और जन-भागीदारी से बनाएं सफल।
लेखक-मो.मंजूर आलम उर्फ नवाब मंजूर
सलेमपुर, छपरा, बिहार ।
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