निबंध : सूचना का अधिकार चुनौतियां और संभावनाएं

निबंध : सूचना का अधिकार चुनौतियां और संभावनाएं | Essay In Hindi

निबंध : सूचना का अधिकार चुनौतियां और संभावनाएं

( Right to Information Challenges and Prospects : Essay in Hindi )

 

प्रस्तावना ( Preface ) :-

भारत एक प्रजातांत्रिक देश है। किसी भी देश मे प्रजातांत्रिक व्यवस्था को बनाए रखना जरूरी है। प्रजातांत्रिक व्यवस्था में जनता ही देश की वास्तविक मालिक होती है।

इसलिए यह जनता का हक है कि वह अपनी सेवा के लिए जो सरकार चुनी है वह क्या कहां और कैसे काम करती है, इसके बारे में भी जाने। साथ ही हर नागरिक सरकार के कामकाज को सुचारू ढंग से चलाने के लिए टैक्स देता है।

इसलिए यह देश के सभी नागरिकों का हक है कि वह इस बात को जाने कि उसका पैसा कहां खर्च हो रहा है? जनता को सरकार से जुड़े सभी मामलों को जानने का हक है और यह सूचना का अधिकार (आरटीआई) के नाम से जाना जाता है।

2005 में देश की संसद ने एक कानून पारित किया जिसे सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 नाम से जाना जाता है। इस अधिनियम में यह व्यवस्था की गई कि किसी प्रकार से आम जनता सरकार से सूचना मांगेगी और सरकार किस तरह से जवाब देगी।

साल 2020 में सूचना का अधिकार अधिनियम अपना 15 साल पूरा किया। शासन में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने की दिशा में कार्य किया है। लोक प्राधिकारिओं के अधिकार क्षेत्र के अंतर्गत उपलब्ध सूचनाओं तक आम नागरिकों की पहुंच सुनिश्चित करना ही इस अधिनियम का उद्देश्य बन गया।

साल 2002 में सांसद ने सूचना की स्वतंत्रता विधेयक को पारित किया था, जिसे 2003 में राष्ट्रपति द्वारा मंजूरी भी मिली। लेकिन नियमावली बनाने के नाम पर इसे लागू नहीं किया जा सका।

बाद में यूपीए सरकार ने पारदर्शिता युक्त शासन व्यवस्था तथा भ्रष्टाचार मुक्त समाज बनाने के लिए 15 जून 2005 को सूचना का अधिकार अधिनियम संसद में पारित करवाया, जिसे 15 जून 2005 को राष्ट्रपति की मंजूरी मिली और अंततः 12 अक्टूबर 2005 को (उस समय जम्मू कश्मीर) को छोड़कर यह कानून पूरे देश में लागू कर दिया गया और सूचना की स्वतंत्रता विधेयक 2002 को निरस्त कर दिया।

सूचना का अधिकार अधिनियम के प्रमुख प्रावधान ( Major Provisions of Right to Information Act in Hindi ) :-

12 अक्टूबर 2005 को सूचना का अधिकार अधिनियम अस्तित्व में आया था। इस अधिनियम के प्रमुख प्रावधान इस प्रकार से हैं –

  • प्रत्येक लोका अधिकारी के लिए यह अनिवार्य किया गया कि वह 30 दिन के समय अवधि के अंदर सूचना उपलब्ध करवाएं। यदि सूचना जीवन अथवा व्यक्तिगत स्वतंत्रता से संबंधित है तो यह सूचना 48 घंटे के अंदर उपलब्ध करवाई जाए।
  • सूचना की विषय वस्तु के संदर्भ में असंतुष्टी, निर्धारित अवधि में सूचना प्राप्त न होने जैसे मामलों में स्थानीय से लेकर राज्य तथा केंद्रीय सूचना आयोग में अपील की जा सकती है।
  • राष्ट्र की संप्रभुता, एकता, अखंडता, सामरिक हित आदि पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाली सूचनाओं को प्रकट करने की बाध्यता से मुक्ति प्रदान की गई है।
  • सूचना के अधिकार अधिनियम में राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, संसद, राज्य विधान मंडल के साथ-साथ सर्वोच्च न्यायालय, उच्च न्यायालय व निर्वाचन आयोग जैसे संवैधानिक निकायों व उनसे संबंधित पदों को भी सूचना के अधिकार के दायरे में लाया गया है।

आरटीआई की उपलब्धियां ( Achievements of RTI in Hindi ) :-

सूचना का अधिकार अधिनियम साल 2020 में अपना 15 साल पूरा किया। इस अधिनियम ने डेढ़ दशक में प्रशासन और आम जनता के हितों को दृष्टि में रखते हुए अनेक महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की। –

  • सूचना का अधिकार अधिनियम के माध्यम से मंत्रियों की विदेश यात्राओं और उन पर हुए व्यय को सार्वजनिक करने में महती भूमिका निभाई है। इससे व्यर्थ में विदेश यात्राओं को न करने पर दबाव बढ़ गया।
  • मंत्रियों, नौकरशाहों और न्यायाधीशों की संपत्तियों से संबंधित सूचना आरटीआई के जरिए प्राप्त की जा सकती है। सूचना के अधिकार अधिनियम के चलते ही नौकरशाहों द्वारा अपनी संपत्तियों व देयताओं को सरकारी वेबसाइट पर दिखाया जाने लगा और उन्हें वार्षिक रूप में अपडेट किया जाता है।
  • केंद्रीय सूचना आयोग के निर्देशों व आरटीआई आवेदनों के चलते ही 2012 में आरटीआई एक्ट के तहत फाइल नोटिंग को उपलब्ध करवाया जाना प्रारंभ हुआ। इससे नौकरशाहों पर दबाव पड़ा कि वह फाइलों पर उचित तरीके से लिखें।
  • सूचना के अधिकार से ही कई सारे घोटाले उजागर हुए जैसे आदर्श आवास घोटाले, 2जी स्पेक्ट्रम घोटाला, कोल ब्लॉक आवंटन घोटाला, कॉमनवेल्थ गेम्स घोटाला आदि।

सूचना के अधिकार अधिनियम की चुनौतियां ( Challenges of Right to Information Act in Hindi ) :-

सूचना के अधिकार अधिनियम के अस्तित्व में आने से सबसे बड़ा खतरा आरटीआई कार्यकर्ताओं को है। उन्हें कई तरह से उत्पीड़ित और प्रताड़ित किया जाने लगा है और  देशहितों के अनुरूप उन्हें देश के आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम आरटीआई की राह में एक रोड़ा है।

द्वितीय प्रशासनिक सुधार आयोग ने इस अधिनियम को खत्म करने की विधि सिफारिश की है, जिस पर पारदर्शिता के लिहाज से अमल आवश्यक है।

निष्कर्ष (The conclusion) :-

सूचना का अधिकार अधिनियम आज दुनिया के लगभग 80 देशों से भी ज्यादा देशों में लागू है। फ्रांस, कनाडा, मैक्सिको, भारत जैसे देशों में यह कानून लागू है।

आज भारत में राजस्थान से लेकर मणिपुर तक, उत्तर में हिमालय से लेकर कन्याकुमारी तक विभिन्न क्षेत्रों में नागरिकों द्वारा सूचना के अधिकार कानून का प्रयोग किया जा रहा है और यह कानून कदम दर कदम आगे बढ़ता जा रहा है।

लेकिन इस कानून के दायरे और प्रमुख प्रावधानों के संबंध में कुछ मत एवं क्षेत्रों को भी स्पष्ट करने की आवश्यकता महसूस की जा रही है।

कुल मिलाकर कह सकते हैं कि सूचना का अधिकार पिछले डेढ़ दशक में जन अधिकारों के पक्ष में अग्रसर हुआ है।

लेकिन वास्तविक लाभ को प्राप्त करने के लिए इस के मार्ग में आने वाली संरचनात्मक, संस्थागत और प्रक्रियागत बाधाओं और जटिलताओं को समाप्त करने की जरूरत है।

इस क्रम में जागरूकता फैलाने वाला अभियान भी चलाया जाना चाहिए। सूचना का अधिकार अधिनियम के संरक्षण में न्यायालयों और सिविल सोसाइटी संगठनों को अग्रणी भूमिका निभानी चाहिए।

लेखिका : अर्चना  यादव

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