Hindi Poetry On Life | Hindi Poem | Hindi Poetry -रिश्ता
रिश्ता
( Rishta )
महान प्रख्यात कवि रवींद्रनाथ टैगोर जन्म के साथ ही प्रख्यात ज्ञान लेकर पधारे थे धरा धाम में। 7 मई1961 कोलकाता की धरा की बड़ाई शोभा, पिता देवेंद्र नाथ जी,माता शारदा जी की घर आंगन की। दादाजी द्वारिका नाथ शहर की सबसे धनी लब्ध प्रतिष्ठित व्यक्ति। उनके ज्यादातर शिक्षा घर पर ही संपन्न, वह बचपन…
रक्षाबंधन का बसंत ( Raksha Bandhan ka Basant ) अब न रिस्तों का होगा अंत रक्षा बंधन का आया है ले लेकर खुशियों का बसंत अब न रिस्तों का होगा अंत। रंग बिरंगे उन धागों का गुच्छ अनोखा अनुरागों का, गांठ बांध कर प्रीति सजाकर अरुण भाल पर तिलक लगाकर, दीप जलाकर…
बाल अपराध ( Bal apradh ) क्या लिखूं मैं उस मासूमियत के लिए , जिसे सुन हाथों से कलम छूट जाती है। हृदय मेरा सहम जाता है। उनकी चीखें गूंज रही मेरे इन कानों में क्योंकि हर बच्चे के अश्रु ये कहते हैं यूं ही नहीं होता कोई बच्चा बाल अपराध का शिकार, कुछ…
रेशम की डोरी बहना का प्यार ( Resham ki dori behna ka pyar ) रेशम की डोरी राखी, भाई बहन का प्यार। त्यौहार सद्भावों भरा, राखी बंधवाइये। कच्चे धागों में लिपटा, प्रेम सुधारस सार। रक्षासूत्र बांधकर, संबंध निभाइये। अक्षत चंदन रोली, बहना लै बांधे राखी। रिश्तो की डोर को, पावन बनाइए।…
बारिशे मेरे आँगन से होकर जब भी गुजरी ( Baarishe Mere Aangan Se Hokar Jab Bhi Gujri ) ?? तेरे शहर मे आज बेसबब आई हूँ साथ मुकद्दर के कुछ लम्हे लाई हूँ मुस्कुराना मेरी आदत है ,तो हो आँसू तेरी आँख से भी चुराने आई हूँ ?? वो जो करते रहे बाते किरदार…
प्रित का प्रेम ( Prit ka Prem ) मैं तुम्हें लफ्जों में समेट नही सकती क्योंकि– तुम एक स्वरूप ले चुके हो उस कर्तार का– जिसे मैं हमेशा से ग्रहण करना चाहती हूं किन्तु– समझा नही पाती तुम्हें कि– अपने विजन को छोड़कर यथार्थ जीने का द्वंद्व वाकई में किंतना भयप्रद है। नकार देती…