
रिश्ता
( Rishta )
कैसा रिश्ता,कब का
रिश्ता.
सब तो है मतलब का
रिश्ता.
जात,खून,मजहब का
रिश्ता,
सबसे बढिया रब का
रिश्ता.
मिलता नहीं अब *ढब* का
रिश्ता,(ढंग)
गायब प्रेम,अदब का
रिश्ता.
दौलत और *मनसब*का
रिश्ता,(पद/प्रतिष्ठा)
है दोनों मेंं गज़ब का
रिश्ता.
चुंबन से ज्यों *लब*का
रिश्ता,(ओठ)
निभता दिन और*शब*का
रिश्ता।(रात)
दृढ़ है नेक*सबब* का
रिश्ता,(कारण)
टूटता है मतलब का
रिश्ता.
कवि : बिनोद बेगाना
जमशेदपुर, झारखंड