रिश्ते-आम कह दूॅ क्या

रिश्ते-आम कह दूॅ क्या?

रिश्ते-आम कह दूॅ क्या?

सुनहरी याद को जाम कह दूँ क्या?
इस ह्दय को शमशान कह दूँ क्या ।।1।

अब प्रतीक्षा सीमा से ज्यादा हो गई,
अवतार कल्कि समान कह दूँ क्या ।।2।

रोग पुराना होकर भी पुराना कहाँ?
दवा तारीफ की सरेआम कह दूँ क्या ।।3।

रास्ते भी मंजिल से खूबसूरत बन जाते,
प्रेमी मुरलीधर तेरा नाम कह दूँ क्या ।।4।

सफर में हमसफ़र साथ चलता कहाँ,
सम्मान समर्पित सीताराम कह दूँ क्या ।।5।

दिखाने वाला हमेशा सचमुच नहीं,
आँखों को धोखा धाम कह दूँ क्या ।।6।

रिश्ते महकदार, मधुर वक्त से चलते
मोबाइल को रिश्ते-आम कह दूँ क्या ।।7।

चाहत की आदत कभी बदलती नहीं,
अक्षर हुए बेदम,कुछ नाम कह दूँ क्या ।।8।

नशीली रात, मौसम हो सावन सा सुहाना,
बिह्वल जज्बात को प्रेम काम कह दूँ क्या ।।9।

हर दर्द के पत्र को संभाल रखा है मैंने,
तुझे बेवफा डाकिया राम कह दूँ क्या ।।10।

प्रतिभा पाण्डेय “प्रति”
चेन्नई

यह भी पढ़ें :-

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *