रोटी कपड़ा और मकान

रोटी कपड़ा और मकान | Roti Kapada Aur Makaan

रोटी कपड़ा और मकान

( Roti Kapada Aur Makaan )

उस अमीर आदमी की
अकूत दौलत का पहाड़
दो कौड़ी है
उस भूख से बिलखते
अधनंगे
बच्चे की नजर में
जिसकी मां ने
उससे पहले
दम तोड़ दिया
उसको
जिंदा रखने की चाह में
अपना खून
चुसवाते चुसवाते
अपने
भूखे बदन और
सूखे स्तन से ।।

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देश की हजारों
कपड़ा मिल में
बनने वाले
करोड़ों अरबों गज
कपड़े पर
लानत भेजता है
वो बाप
जिसने अभी-अभी
दो गज कफन के
अभाव में
दफन कर दिया है
नंगे बदन ही
मिट्टी के ढेर में
अपना दुध मुंहा लाल ‌।।

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देश में बढ़ रहे
कंक्रीट के जंगल
बन रही
ऊंची ऊंची अट्टालिकाएं
शानदार बंगले
आलीशान फ्लैट्स
और सुख सुविधाओं से
सज्जित ये मकान ।

सब पर थूकती है
वो प्रसूता
जिसने भयंकर
बारिश
कड़कड़ाती ठंड में
पैदा किया है
अपने नव शिशु को
म्युनिसिपालिटी के
फालतू पड़े
एक
कंकरीट पाइप में ।।

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क्या पूरे राष्ट्र में
कोई योजना
कोई नेता
कोई कमीशन
कोई आयोग
कोई सरकार
है ऐसी
जो इन तक
इनका अधिकार
इनका हक
पहुंचाने के लिए
प्रयासरत हो ।
या कोई सीना
जिसके हृदय में
इनकी पीड़ा की
कसक हो ।

*****”

शायद ऐसा
कोई इंसान नहीं है
और तभी तो
उनके नसीब में
रोटी कपड़ा और मकान नहीं है।।

डॉ. जगदीप शर्मा राही
नरवाणा, हरियाणा।

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