सदा वो बेवफ़ा चेहरा रहा है

सदा वो बेवफ़ा चेहरा रहा है | Ghazal bewafa chehra

सदा वो बेवफ़ा चेहरा रहा है

( Sada wo bewafa chehra raha hai )

 

सदा वो बेवफ़ा चेहरा रहा है
कभी जिससे मेरा नाता रहा है

 

उसे कुछ याद भी हो या न हो अब
मुझे वो याद सब वादा रहा है

 

वफ़ा झूठी दिखाकर रोज़ दिल से
मुझे वो दर्द बस देता रहा है

 

रहूं फ़िर ख़ुश यहाँ मैं यार कैसे
जिग़र पे जख़्म जो गहरा रहा है

 

दिखाकर ख़्वाब उल्फ़त के वो झूठे
मुझे दिल से वो कब अपना रहा है

 

मुहब्बत बस उसे करता गया हूँ
जफ़ा का वार वो करता रहा है

 

पराया वो हुआ है जब से आज़म
नहीं उससे कोई रिश्ता रहा है

 

शायर: आज़म नैय्यर

(सहारनपुर )

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