संयम करना सिखा दिया
संयम करना सिखा दिया
तेरे प्यार ने सिखा दिया,
कैसे दर्द को हँसते हुए सहना है।
तुझे अपनी यादों में बसाकर,
तुझमें ही खोया रहना है।
तेरे ख्यालों ने समझाया,
दूरी को कैसे सहेजा जाता है।
तेरी याद मात्र से भी मुस्काना,
यह प्यार में कितना मज़ा आता है।
तेरी बातों की मिठास,
हर दर्द को मीठा कर जाती है।
तेरी दूरी का कड़वा घूंट पीकर भी,
मेरे दिल की धड़कनें संभल जाती हैं।
तेरी मोहब्बत की गहराई ने,
मुझे खुद में डूबना सिखा दिया।
तेरे लौट आने की आस ने,
इंतज़ार करना सिखा दिया।
कवि : प्रेम ठक्कर “दिकुप्रेमी”
सुरत, गुजरात
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