अल्बर्ट आइंस्टीन
( Albert Einstein )
तुम्हें आशिक कहे या
वैज्ञानिक
कुछ ना समझ मैं पाता।
दुनिया ने माना तुम्हें
महानतम वैज्ञानिक ।
जिसके बुद्धि का लोहा
आज भी माना जाता ।
लेकिन तुम्हारे दिल में
जीवन भर रही एक टींस
एक प्यास
अपने प्रियतम को पाने की।
प्रेम की खोज में
खोज डालें
‘सापेक्षता का सिद्धांत ‘।
क्या यह सिद्धांत नहीं है
प्रेम की अभिव्यक्ति
दुनिया में फिर कभी
यदि होगी आपकी चर्चा
तो होनी चाहिए
एक परिचर्चा
क्या प्रेम नहीं है सापेक्ष
तभी दुनिया बन सकेगी
प्रेम पूर्ण और खुशहाल।
योगाचार्य धर्मचंद्र जी
नरई फूलपुर ( प्रयागराज )