सशक्त बनो हे नारी तुम
सशक्त बनो हे नारी तुम

सशक्त बनो हे नारी तुम

( Sashakt bano he nari tum )

 

उठो नारी आंसू पौंछो
खुद की कीमत पहचानो

लाज का घूंघट ढाल बना लो
अहंकार का तिलक लगा लो
स्वाभिमान की तान के चादर
खुद में खुद को सुदृढ बना लो

उठो नारी आंसू पौंछो
खुद की कीमत पहचानो
?☘️

अपनी शक्ति को पहचानो
अपमान को दवा बना लो
अश्रुपूरित अंखियों को
जीने का संबल बना लो

उठो नारी आंसू पौंछो
खुद की कीमत पहचानो
?☘️

सारे पासे आप बिछा लो
किस्मत भरोसे कभी ना टालो
हार जीत दोनों पलड़ो को
अपनी मुट्ठी में दबा लो

उठो नारी आंसू पौंछो
खुद की कीमत पहचानो
?☘️

सृष्टि की सुंदर रचना हो तुम
त्याग संयम की प्रतिपल मूरत
शक्ति का अवतार हो तुम
कोमल नहीं कटु वेश धरो तुम

उठो नारी आंसू पौंछो
खुद की कीमत पहचानो
?☘️

मत परोसा खुद को यूँ
जैसे नारी संवेदना विहीन
लाज बचाने को अपनी
स्वयं की ताकत अर्जित करो

उठो नारी आंसू पौंछो
खुद की कीमत पहचानो
?☘️

मत झूलो नियति की वेदी पर
अपनी इज्जत आप बचा लो
कपाल पर स्वाभिमान तिलक से
वीर योद्धा की मोहर लगा लो

उठो नारी आंसू पौंछो
खुद की कीमत पहचानो
?☘️


डॉ. अलका अरोड़ा
“लेखिका एवं थिएटर आर्टिस्ट”
प्रोफेसर – बी एफ आई टी देहरादून

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