शैतान चूहे | Bal Sahitya
शैतान चूहे
( Shaitan choohe )
चूहें होते हैं बड़े ही शैतान
चीं-चीं चूँ-चूँ कर शोर मचाते
इधर-उधर उछल-कूद कर
हरदम करते सबको परेशान ।
छोटे-छोटे हाथ पैरों वाले
नुकीले धारदार दाँतों वाले
बहुत कम बालों वाली इनकी मूँछ
सपोले जैसी छरहरी होती पूँछ ।
वैसे तो गहरे बिलों में होता इनका घर
पर रसोई-बेडरूम-स्टोर कहीं भी
बड़ी शान से आ जा सकते हैं ये
नहीं लगता इन पर कोई कर ।
हर किसीके घर में ये हमेशा ही
होते हैं ये बिन बुलाए मेहमान
सब कुछ मिनटों में नष्ट कर देते
कितना ही कीमती क्यों ना हो सामान ।
महंगे-कपड़े और किताबों से
नहीं इनको कैसा भी प्यार
केबल,टेलीविज़न, बिजली की तारे
अक्सर हो जाती इनका शिकार ।
रात ढले जब सब सो जाते हैं
तब ये सारी रात उधम मचाते हैं
टंकी-कनस्तर, रसोई में रखा हुआ
सारा गेहूं-खाना ख़राब कर जाते हैं
बिल्ली को मत ना कहना जालिम
आजकल के चूहे भी हैं बड़े बदमाश
बात बात पर बिल्ली मौसी को चिढ़ाते
फिर फट से बिल में घुस जाते ।
उस गणपति जी की है ये प्रिय सवारी
पूजा में प्रथम आती जिनकी बारी
चूहों की एक बात है सबसे निराली
इनके होने से घर में आती खुशहाली ।
कवि :संदीप कटारिया ‘ दीप ‘
(करनाल ,हरियाणा)