शर्मनाक स्थिति

शर्मनाक स्थिति | Kavita

शर्मनाक स्थिति

( Sharmanak sthiti )

 

ऐसे पिट रहा है साहेब का विदेशों का डंका,
आग लगा के रख दी स्वयं की लंका।
शवों पर चढ़ शान से सवारी करते रहे,
आॅक्सीजन के अभाव में भले हम दम तोड़ते रहे।
बिछ गई लाशें चहुंओर,
पर थमा ना चुनाव और नारों का शोर।
अब मद्रास उच्च न्यायालय ने लिया है संज्ञान,
इशारों-इशारों में नेताओं को भी दिया है ज्ञान।
फैसले में लिखा दर्ज हो हत्या का मुकदमा इनपर,
ले ली हजारों जान,
ले ली हजारों जान।
यह आपराधिक लापरवाही है,
आयोग ने निभाई नहीं अपनी जिम्मेदारी है।
कोविड प्रोटोकॉल पालन कराने में अक्षम रहे,
ना रैलियों पर ही रोक लगा पाए;
कुंभ में भी लाखों करोड़ों भीड़ जुटाए।
दंभ और अहंकार में चूर रही सरकार,
यही तो लिख रहे हैं आज विदेशी अखबार।
देख पढ़ हम शर्मिंदा हैं,
डूब के नहीं मरे,बेशर्मी हमारी के जिंदा हैं।
आशा है सुधरेगा हालात जल्द से जल्द,
अब तो विदेशों से भी आने लगी है मदद।
हम भी थोड़ा और हो जाएं सजग,
डॉक्टरों की हो जाएगी थोड़ी मदद।
देश इस आफत से निकल पाएगा,
जब रहनुमा हमारा काबिल और अहंकार से फारिग हो जाएगा?
वरना आने वाली तीसरी लहर से कौन बचाएगा?

?

नवाब मंजूर

लेखक-मो.मंजूर आलम उर्फ नवाब मंजूर

सलेमपुर, छपरा, बिहार ।

यह भी पढ़ें : –

ऐसा कौन करता है | Kavita

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *